किसी भी भ्रूण की शिक्षा गर्भावस्था के समय से ही शुरू हो जाती है, भारतीय संस्कृति के अनुसार भ्रूण को संस्कार देने की शुरुआत गर्भावस्था के समय से ही मानी जाती है।
सनातन में ऐसे कई रिवाज हैं। जिन्हें हम अंधविश्वास की श्रेणी में लाते हैं, लेकिन वास्तव में वे काफी हद तक वैज्ञानिक हैं।
कुछ ऐसे संस्कार गर्भ संस्कार के अंतर्गत आते हैं। जिसे आज की युवा पीढ़ी अंधविश्वासी मानती है। इन्हें भ्रूण के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
गर्भ संस्कार का अर्थ गर्भ में पल रहे भ्रूण को शिक्षित करना है। गर्भावस्था के दौरान बच्चे को शिक्षित करना और उन्हें सकारात्मक विचारों और मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करना गर्भ संस्कार कहलाता है।
गर्भ संस्कार क्या है?
पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार गर्भ के अंदर धार्मिक विकास, मस्तिष्क का विकास और भ्रूण का शारीरिक विकास गर्भ संस्कार के अंतर्गत आता है।
गर्भ संस्कार की विस्तृत जानकारी के लिए महिलाओं को गर्भ संस्कार से संबंधित पुस्तकें पढ़नी चाहिए। इन्हें पढ़ने के बाद गर्भावस्था को लेकर महिला का नजरिया पूरी तरह से बदल जाता है, यह बेहद जरूरी है।
अजन्मे बच्चे को अच्छी आदतें कैसे सिखाएं
भ्रूण के हर तरह के विकास के लिए एक महिला कुछ ऐसे कदम उठा सकती है जो बहुत ही आसान हैं, जिसे वह आसानी से अपनी जीवन शैली में फिट कर सकती है।
योग और ध्यान
गर्भावस्था के दौरान योग करने से गर्भवती महिला तनावमुक्त और शांत रहती है। यह सामान्य प्रसव और स्वस्थ गर्भावस्था में भी मदद करता है। वहीं मेडिटेशन करने से मां के मन में सकारात्मक विचार आते हैं और बच्चा शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ हो जाता है।
आध्यात्मिक पुस्तक पढ़ें
गर्भावस्था के दौरान आध्यात्मिक किताबें पढ़ना बहुत फायदेमंद होता है, 7 महीने के बाद बच्चा महिला की आवाज सुनना शुरू कर देता है। बच्चा भी मां की आवाज पर प्रतिक्रिया करता है।
धार्मिक पुस्तकें पढ़ने से मन में सकारात्मक विचारों का प्रवाह बढ़ता है। इसका शिशु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि एक घर में शिशु का अपनी मां से सीधा मानसिक और शारीरिक संबंध होता है।
मधुर संगीत सुनें
सॉफ्ट म्यूजिक किसी भी प्रेग्नेंट मां को काफी सुकून देता है। इससे तनाव कम होता है। बेबी को भी संगीत पसंद है। कई वैज्ञानिकों के अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान संगीत सुनने से गर्भवती मां और बच्चे दोनों के तनाव में कमी देखी गई है। महिला चाहे तो गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा और अन्य भजन भी सुन सकती है। इसका बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भोजन का पोषण मूल्य
एक महिला के लिए अपने भोजन के पोषण मूल्य को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि गर्भस्थ शिशु के शरीर का विकास महिला के भोजन में मौजूद मिनरल्स और विटामिन की मदद से ही होता है। बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महिला को अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। फास्ट फूड से बचें। बासी भोजन से परहेज करें। ताजा और प्राकृतिक भोजन लें।
यदि कोई महिला गर्भ संस्कार से संबंधित जानकारी रखती है, या किसी विशेषज्ञ की देखरेख में गर्भावस्था को आगे बढ़ाती है, तो वह और भी कई काम कर सकती है, जिससे बच्चे के विकास में मदद मिलेगी।
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